Monika garg

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लेखनी कहानी -06-Sep-2022# क्या यही प्यार है # उपन्यास लेखन प्रतियोगिता# भाग(27))

गतांक से आगे:-


सारी रात जोगिंदर और उसके माता पिता की आंखों ही आंखों में कटी ।सुबह सबसे पहले जोगिंदर के माता पिता ओझा जी के पास पहुंच गए और सारा हाल कह सुनाया और अपने साथ ही ओझा जी को घर ले आये ।

  हवेली मे कदम रखते ही ओझा जी ने सूंघ कर बता दिया कि हां यहां ओपरी छाया का वास था ।

जोगिंदर के पिताजी आश्चर्य से बोले,"आप का क्या मतलब है? मतलब अब वो छाया हवेली में नही है ।"

ओझा जी नू चारों ओर दृष्टि घुमाकर देखा और जोगिंदर के कमरे के आगे जा कर उनकी नजर ठहर गई।उधर देखकर ओझा जी बोले,"ठाकुर साहब ।रात तीन चार बजे तक उस कमरे मे ओपरी हवा का वास था लेकिन अब नही है ।मै आपको कुछ धागें देता हूं वो आप अपने बेटे के हाथ पर बांध देना और एक एक अपने हाथ मे और एक दरवाजे के बांध देना । वो आप लोगों के पास नही फटकेगी ।और हां जिस हिसाब से आपने बताया कि वो पिछले किसी जन्म में आपके बेटे की ब्याहता थी तो इसके लिए कोई बड़ा उपाय करना होगा ।ये किसी कारणवश इस योनि मे भटक रही है ।अगर इसका कोई बुरा मकसद होता तो ये आपके बेटे को अभी तक अपने साथ ले जाती।"

जोगिंदर के माता पिता से ओझा जी ने उपाय बताया और वे हवेली से चले गये। जोगिंदर की मां ने सभी धागे यथा स्थान बांध दिए।पर जब जोगिंदर को ये पता चला कि वो ओपरी हवा अब हवेली में नही है तो वो सोचने लगा चंचला इतनी जल्दी जाने वाली तो नही थी आखिर गयी कहां?"

इधर रमनी को रात मेहंदी लग रही थी वो बड़ी खुश थी क्योंकि गोपाल के हाथों उसे जोगिंदर के नाम की मेंहदी जो मिल गयी थी उसने वही मेहंदी घोली और अपने हाथों पर रचा ली ।गाना बजाना हो रहा था औरतें बन्नी गा रही थी तभी रमनी को बड़ी जोर से प्यास लगी । मां ब्याह के कामों मे उलझी थी तो वो खुद ही उठकर पानी पीने चली गयी ।मटका आंगन मे एक ओर थोड़ी दूरी पर रखा था जैसे ही रमनी मेहंदी लगे हाथों से आंगन मे आई तो उसे एक जोरदार धक्का लगा उसे ऐसे लगा जैसे उसके शरीर मे कुछ प्रवेश कर गया था ।तभी उसकी चाल ढाल अलग तरीके की हो गयी ।वह जो थोड़ी देर पहले इतनी खुश थी अब वो चुपचाप आकर एक तरफ उदास होकर बैठ गयी । बिटिया जो अब थोड़े समय की मेहमान थी कल वो ब्याह कर अपने घर चली जाएगी ।ऐसे मे वो उदास और चुपचाप बैठी थी तो रमनी की मां ने पूछ ही लिया,"क्या बात बिटिया ? इतनी उदास क्यों हो ?"

इतने मे रमनी जोर जोर से रोने लगी और चीख चीखकर बोली,"वो वो कहता है ।वो मेरा सूरज नही है ।वो मेरा सूरज नही है ।वो तो इसके ब्याह मे आया है  फिर वो इससे इतने प्यार से क्यूं बात करता है।"

रमनी की मां घबरा गयी ,"हाय दयैया ये क्या हो गया लड़की को ।आज ये घर से बाहर कहां गयी थी ।"

वह सोचने लगी तभी उसे याद आया कि वह सुबह मंदिर गयी थी तब तो मैंने इसे कहां था कि चाकू लेकर जाना साथ ।पता नही मोड़ी लेकर गयी थी या नहीं।

  रमनी की मां भी सुबह होते ही ओझा जी के ठान की ओर दौड़ी । ओझा जी ने आंखे बंद करके ध्यान लगाया और पाया ,"अरेरेरे…. ये क्या जागीरदार साहब के यहां की अला बला रमनी मे  कैसे आयी?"

वो रमनी की मां से बोले,"क्या बिटिया ठाकुर साहब की हवेली गयी थी ?"

रमनी की मां रोते हुए बोली,"पता नही ओझा जी ,कल मंदिर की कहकर घर से गयी थी । हवेली गयी या नही किसे मालूम? हां जागीरदार साहब का लड़का उसका दोस्त है बचपन का।वो शहर पढ़ने गया हुआ था हमारी रमनी के ब्याह वास्ते आया है ।"

ओझा जी ने सारा हिसाब लगा लिया और सारी बात ध्यान लगाकर पता कर ली। उन्होंने रमनी की मां को भभूत देकर कहा,"ये बिटिया को पानी मे घोल कर पीला देना ।देखो जब तक ब्याह होगा तब तक शायद वो बला पास ना आये।"

रमनी की मां भभूत लेकर घर गयी तो रमनी दरवाजे पर उदास बैठी थी जाते ही बोली,"किधर चली गयी थी मां ।सारा शरीर का अंग अंग दुख रहा है ।मुझे भूख भी लगी थी।"

"हां मेरी लाडो।चल तुझे रोटी देती हूं ।चल बिटिया उठ खड़ी हो।"रमनी की मां आंखों मे आंसू भर कर बोली।

   पता नही बेटी को क्या हो गया ऐन वक्त पर जब ब्याह का दिन नजदीक है और ये ओपरी हवा । ससुराल वाले ना जाने क्या कहेंगे कि बीमार लड़की पल्ले बांध दी।रमनी की मां का बुरा हाल था सोच सोच कर।

रमनी की मां ने चुपके से पानी मे मिलाकर रमनी को भभूत खिला दी ।जिससे रमनी को काफी हद तक आराम मिला।आज भी औरते गीत गाने आने वाली थी पर रमनी की मां ने कह दिया कि लड़की की तबीयत ठीक ना है ।बस कुछ दो चार औरतों ने ही शगुन के गीत गा लिए।रमनी तो दोपहर बाद से सोती ही रही उठी ही नही। ब्याह के दिन ही सुबह भोर के समय  उठी।वो भी जब जोगिंदर रमनी के घर आया तो उसकी मां से पूछा,"रमनी कहां है ?"

रमनी की मां ने उसके कमरे की तरफ इशारा करके कहा,"लला जी आप को तो पता है कल मंदिर गयी थी वहीं से ही ओपरी हवा साथ मे ले आयी थी वो तो ओझा जी ने भभूत दी थी जिससे कल की सोई अब तक सो रही है।"

जोगिंदर ओझा जी के पास से ही आ रहा था । क्यों कि गोपाल से उसे सारी खबर लग चुकी थी ।और ओझा जी ने बता दिया था कि जो बला तुम्हारे घर मे थी वही उस लड़की के साथ हो ली है । मैंने भभूत दे दी है ब्याह तक तो सही रहेगी लेकिन बाद का मै नही कह सकता । क्यों कि वो भांवरो मे पड़ जाएगी । अब तुम जल्दी ही वो उपाय करा लो ।नही तो बहुत देर हो जायेगी।

जोगिंदर नरेंद्र को टेलीग्राम करके आ रहा था कि वह गांव आ जाए और आते समय उसने कमरा नं 13 से एक चीज लाने को बोला ।साथ मे वो भी ले आये।


(क्रमशः)

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5 Comments

Raziya bano

14-Oct-2022 08:47 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

14-Oct-2022 04:35 PM

बहुत ही रोचक भाग👌👌

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shweta soni

14-Oct-2022 03:22 PM

Bahut khub 👌

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